स्वतंत्रता दिवस : आज़ादी का पर्व और नए भारत का संकल्प

भारत आज 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व, भावनाओं और देशभक्ति से भरा हुआ है। 1947 में इसी दिन भारत ने ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी पाई थी। सदियों की गुलामी, अनगिनत बलिदान और स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षों के बाद हमें यह स्वतंत्रता मिली। इसलिए यह केवल एक दिन का पर्व नहीं बल्कि हमारी पहचान और स्वतंत्र अस्तित्व का प्रतीक है

आज़ादी का इतिहास और संघर्ष

भारत की आज़ादी का सफर आसान नहीं था। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1942 के “भारत छोड़ो आंदोलन” तक लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्यौछावर किए। महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्याग्रह और अहिंसा की राह पर चलकर पूरे देश को एकजुट किया गया।
भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, अशफाकुल्लाह खां और अनगिनत क्रांतिकारियों ने स्वतंत्र भारत का सपना देखा और उसे साकार करने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

स्वतंत्रता दिवस का महत्व

15 अगस्त का दिन हर भारतीय के लिए गौरव और कृतज्ञता का अवसर है। यह दिन हमें उन वीर शहीदों की याद दिलाता है जिन्होंने अपने लहू से स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। आज़ादी हमें बिना मूल्य के नहीं मिली बल्कि यह असंख्य बलिदानों की धरोहर है।
इस दिन न केवल हम अपने इतिहास को याद करते हैं बल्कि भविष्य के भारत को और भी मज़बूत, समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लेते हैं।

स्वतंत्रता दिवस समारोह

हर साल 15 अगस्त को देशभर में बड़े उत्साह से स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। राजधानी दिल्ली के लाल किले पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं। यह परंपरा 1947 से निरंतर चल रही है। लाल किले की प्राचीर से दिए गए भाषण में सरकार अपनी उपलब्धियों, आने वाले लक्ष्यों और राष्ट्र की दिशा को रेखांकित करती है।
स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी संस्थानों में भी तिरंगा फहराया जाता है। बच्चे देशभक्ति के गीत गाते हैं, नृत्य और नाटक प्रस्तुत करते हैं। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं और पूरा वातावरण वंदे मातरम् और भारत माता की जय के नारों से गूंज उठता है।

तिरंगा और राष्ट्रीय एकता

हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा केवल एक झंडा नहीं बल्कि एकता और अखंडता का प्रतीक है।
• केसरिया रंग साहस और बलिदान का संदेश देता है।
• सफेद रंग शांति और सत्य का प्रतीक है।
• हरा रंग विकास और समृद्धि का द्योतक है।
• बीच का नीला अशोक चक्र न्याय, धर्म और गति का प्रतीक है।

जब भी तिरंगा लहराता है तो हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।

आज़ादी के बाद का भारत

स्वतंत्रता के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया। संविधान के जरिए हर नागरिक को समान अधिकार, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी मिली। भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
स्वतंत्रता के इन 77 वर्षों में भारत ने कृषि, विज्ञान, अंतरिक्ष, शिक्षा, चिकित्सा और तकनीक के क्षेत्र में अद्भुत प्रगति की है। आज भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान रखता है और विश्व समुदाय में एक मजबूत राष्ट्र के रूप में उभरा है

आज़ादी के साथ जिम्मेदारी

स्वतंत्रता केवल अधिकार नहीं बल्कि जिम्मेदारी भी है। हमें यह याद रखना होगा कि स्वतंत्रता दिवस मनाने का अर्थ केवल झंडा फहराना या भाषण सुनना नहीं है, बल्कि इसे आचरण में उतारना है।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और समाज सेवा के मार्ग पर चलकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें। भ्रष्टाचार, जातिवाद, अशिक्षा, गरीबी और भेदभाव को खत्म करना भी उतना ही आवश्यक है।

नए भारत का सपना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भर भारत के आह्वान ने स्वतंत्रता दिवस को और भी प्रासंगिक बना दिया है। आज हमें अपने युवाओं की ऊर्जा, वैज्ञानिकों की क्षमता और किसानों की मेहनत को जोड़कर भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का प्रयास करना है।
डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, हर घर तिरंगा, स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियान देश को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

स्वतंत्रता दिवस और युवा पीढ़ी

आज की युवा पीढ़ी को यह समझना होगा कि स्वतंत्रता की रक्षा और राष्ट्र की प्रगति उनके हाथों में है।
• उन्हें शिक्षा, तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ना होगा।
• समाज में भाईचारा, समानता और सद्भाव बनाए रखना होगा।
• पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को प्राथमिकता देनी होगी।

युवा ही नए भारत के निर्माता हैं।

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